Bojh Shayari in Hindi | ज़िंदगी बोझ शायरी | Bojh Status

Bojh Shayari in Hindi , ज़िंदगी बोझ शायरी  , Bojh Status, बोझ शायरी, हसरतों का बोझ Shayari, Dukho ke bojh mein zindagi SMS, Booj Shayari in Hindi, धरती पर बोझ Shayari



Bojh Shayari


हसरतों का बोझ लेकर बैठता हूँ सत्संग में
फिर शिकायत करता हूँ मन क्यों लगता नही !!
____________________________________________________
घी लगी रोटियां मां खिलाती रही,
बोल बेटा कि वो बोझ क्यूं हो गई?
____________________________________________________
*** Bojh Shayari in Hindi ***

दुखो के बोझ में ज़िन्दगी कुछ इस तरह डूबे जा रही हैं 
की मेरी हर एक चाहत, हर एक आस टूटे जा रही हैं|”
____________________________________________________
काम के बोझ से तो नहीं,
बस थक जाती हूँ तुम्हेे सोचते सोचते...



____________________________________________________
डूबे हुओं को हमने बिठाया था अपनी कश्ती में यारो.....
और फिर कश्ती का बोझ कहकर, हमे ही उतारा गया...!
____________________________________________________
*** धरती पर बोझ Shayari ***

Bojh Ban Gaya Hun Dharti Par,
Mere Maula Tu Utha Le Mujhko,

Bhale Daal Dena Wahan Narka Mein,
Bas Apne Paas Bula Le Mujhko.
____________________________________________________

दुखो के बोझ में ज़िन्दगी कुछ इस तरह डूबे जा रही हैं,
की मेरी हर एक चाहत, हर एक आस टूटे जा रही हैं….!!


Dukho ke bojh mein zindagi kuch is tarah dube ja rahi hai,
Ki meri har ek chahat , har ek aas tute ja rahi hai…!!
____________________________________________________

ज्यादा बोझ लेकर चलने वाले अक्सर टूट जाते है !
फिर वो चाहे अभिमान का हो या सामान का !!
____________________________________________________
*** ज़िंदगी में बोझ शायरी ***

मैं ज़िन्दगी का बोझ लिए डूब तो गया
रुसवा किया है लाश ने पानी पे तैर कर
____________________________________________________
तू दिल पे बोझ लेके, मुलाक़ात को न आ
मिलना है इस तरह, तो बिछड़ना क़ुबूल है
____________________________________________________



ना डालो बोझ दिलों पर, अक्सर दिल टूट जाते हैं,
सिरे नाज़ुक हैं दोस्ती के, जो अक्सर छूट जाते हैं,
न रखो दोस्ती की बुनियादों में, कोई झूठ का पत्थर,
लहर जब तेज़ आती हैं, तो घरौंदे भी टूट जाते हैं..
____________________________________________________

EK AJEEB SI PAHELI HAI ZINDAGI…
SAB K SATH HOTE HUE BHI AKELI HAI ZINDAGI..

KABHI TO EK PYARA SA ARMAN HAI ZINDAGI…
TO KABHI DARD SE BHARA TUFAAN HAI ZINDAGI…

KABHI PHULON JESI MASOOM HO JATI HAI ZINDAGI…
TO KABHI GUNAHON KA BOJH BAN JATI HAI ZINDAGI…

KOI TO BATA DE MUJHE KYA HAI ZINDAGI…?
SUNA HAI CHND ROZ KI MEHMAN HAI ZINDAGI…

ZINDAGI KO CHHOR KAR EK DIN JAANA PADEGA…
MAUT KO US PAL GALAY LAGANA PADEGA…

ZINDAGI SE CHAHE JITNA PIYAR KR LO…
HOTI TO AKHIR BEWAFA HAI ZINDAGI…
____________________________________________________